जब जब मुझे उसकी जरुरत थी वो मेरे साथ नही था ,
सच है इन्सान अगर खुश रहता है तो उसके साथ सब होते है , और जब वो थोडा भी उदास होता है तो सब उससे दूर चले जाते है !
लेकिन जो इन्सान प्यार करता है वो भी साथ ना दे तो कुछ नही रह जाता! प्यार, महोबत भरी बाते तो सब प्यार करने वाले करते है तो क्यों फिर दुःख बाटने से डरते है, जब प्यार आता है तो i love you .और जब जान कहे की यार कुछ ठीक नही लग रहा तो जान मुझे कुछ काम है ये कहकर क्यों चले जाते है! जब क्यों कुछ कहने के लिए नही होता ! जब वो अपनी जान से सब उमीद रखते है तो जान भी कुछ उमीद करती होगी! क्या जान को कुछ उमीद रखने का कोई हक़ नही , क्यों उस जान को वो अकेला छोड़ के चला जाता है ,जब क्यों उसे उसकी जान याद नही आती,क्या जान ने कभी उसे अकेला छोड़ा जब वो उदास होता है!
इन्सान सिर्फ प्यार का भूका होता है अगर वो सिर्फ अपनी जान से इतना भी कहदे की जान सब ठीक हो जायेगा में हुना तेरे साथ तो जान को इसमें ही ख़ुशी मिल जाती , लेकिन ऐसा होता नही और जान अपने दिल को समझाती रहती है की कभी तो कोई समझेगा उसे !
कोई ऐसा कहकर चला क्यों जाता है की में तुमे ख़ुशी नही दे सकता तो गम भी क्यों दू , वो ये क्यों नही समझता की ख़ुशी और गम दोनों ही उसी के हाथ में होते है .
जब कोई किसी से प्यार करता है तो किसी से भी नही पूछता की में प्यार कर रहा हु और जब थोड़ी भी प्यार में दुरी आने लगती है तो क्यों भगवान पर छोड़ दिया जाता है!
हम जितनी इन्सान में अच्छाइया देखेगे उतनी ही अच्छाइया नजर आएगी
और
जितनी गलतिया देखेगे उतनी गलतिया नजर आएगी !
और जान को उसमे हमेशा अच्छाइया ही नजर आई और आज यही कारण है की जान उसके साथ है और रहेगी!
दुःख हमेशा इस बात का रहेगा की उसे अपनी जान में बुराइया ही नजर आई !
सच है इन्सान अगर खुश रहता है तो उसके साथ सब होते है , और जब वो थोडा भी उदास होता है तो सब उससे दूर चले जाते है !
लेकिन जो इन्सान प्यार करता है वो भी साथ ना दे तो कुछ नही रह जाता! प्यार, महोबत भरी बाते तो सब प्यार करने वाले करते है तो क्यों फिर दुःख बाटने से डरते है, जब प्यार आता है तो i love you .और जब जान कहे की यार कुछ ठीक नही लग रहा तो जान मुझे कुछ काम है ये कहकर क्यों चले जाते है! जब क्यों कुछ कहने के लिए नही होता ! जब वो अपनी जान से सब उमीद रखते है तो जान भी कुछ उमीद करती होगी! क्या जान को कुछ उमीद रखने का कोई हक़ नही , क्यों उस जान को वो अकेला छोड़ के चला जाता है ,जब क्यों उसे उसकी जान याद नही आती,क्या जान ने कभी उसे अकेला छोड़ा जब वो उदास होता है!
इन्सान सिर्फ प्यार का भूका होता है अगर वो सिर्फ अपनी जान से इतना भी कहदे की जान सब ठीक हो जायेगा में हुना तेरे साथ तो जान को इसमें ही ख़ुशी मिल जाती , लेकिन ऐसा होता नही और जान अपने दिल को समझाती रहती है की कभी तो कोई समझेगा उसे !
कोई ऐसा कहकर चला क्यों जाता है की में तुमे ख़ुशी नही दे सकता तो गम भी क्यों दू , वो ये क्यों नही समझता की ख़ुशी और गम दोनों ही उसी के हाथ में होते है .
जब कोई किसी से प्यार करता है तो किसी से भी नही पूछता की में प्यार कर रहा हु और जब थोड़ी भी प्यार में दुरी आने लगती है तो क्यों भगवान पर छोड़ दिया जाता है!
हम जितनी इन्सान में अच्छाइया देखेगे उतनी ही अच्छाइया नजर आएगी
और
जितनी गलतिया देखेगे उतनी गलतिया नजर आएगी !
और जान को उसमे हमेशा अच्छाइया ही नजर आई और आज यही कारण है की जान उसके साथ है और रहेगी!
दुःख हमेशा इस बात का रहेगा की उसे अपनी जान में बुराइया ही नजर आई !
कुछ लाइन जान की अपनी जान के लिए-------------------
जब रुलाना ही था तुझे ,
तो फिर हँसाया क्यों !
जब जाना ही था तुझे ,
तो पास आया ही क्यों !
जब निभाना ही नही था
तो रिश्ता बनाया ही क्यों !
जब दुखाना ही था दिल
तो लगाया ही क्यों !
***************************************************************************जब रुलाना ही था तुझे ,
तो फिर हँसाया क्यों !
जब जाना ही था तुझे ,
तो पास आया ही क्यों !
जब निभाना ही नही था
तो रिश्ता बनाया ही क्यों !
जब दुखाना ही था दिल
तो लगाया ही क्यों !
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