तुम्हारी यादों के सूरज ने
जैसे ही,
दस्तक दी;
दिल की बंद गलियां,
भर गयी,
सूर्य-किरणों की,
अप्रतिम आभा से;
लगा...
तुम ना सही,
तुम्हारी यादों को ही;
मेरी सुधि तो आई|
अब तक जो दर्द,
मैंने पाया, तुम्हें खोने पर;
उस पर शायद,
ये यादें..
मरहम बन आई|
पर क्या??
यादों के ये उजाले
दूर कर पाएंगे,
'तुम्हारी कमी'??
भर पाएंगे...
मेरे जीवन का सूनापन...
तुम्ही, कहो ना,
कुछ कहो ना...
जैसे ही,
दस्तक दी;
दिल की बंद गलियां,
भर गयी,
सूर्य-किरणों की,
अप्रतिम आभा से;
लगा...
तुम ना सही,
तुम्हारी यादों को ही;
मेरी सुधि तो आई|
अब तक जो दर्द,
मैंने पाया, तुम्हें खोने पर;
उस पर शायद,
ये यादें..
मरहम बन आई|
पर क्या??
यादों के ये उजाले
दूर कर पाएंगे,
'तुम्हारी कमी'??
भर पाएंगे...
मेरे जीवन का सूनापन...
तुम्ही, कहो ना,
कुछ कहो ना...
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