Wednesday, July 3, 2013

कोई जाकर किससे अपना दुख-सुख बाँटे,


कोई जाकर किससे अपना दुख-सुख बाँटे,
कौन खुले रखता है, दिल के दरवाज़े आजकल. ♥


पूछा था हाल उसने बड़ी मुद्दत्तों के बाद,
कुछ पड़ गया है आँख में यह कह के रो पड़े.


इतना बेताब न हो मुझ से बिछड़ने के लिए,
तुझ को आँखों से नहीं दिल से जुदा करना है...



मुझे भी पता था की लोग बदल जाते है मगर,
मैंने कभी तुम्हे उन लोगों में गिना ही नहीं था...


मुझे प्यार के रिश्ते को बचाने का हुनर मालूम है,
जाओ सारी खुशियाँ तुम्हारी और सारे गम मेरे हुए.


कहीं तो कोई होगा जिसको अपनी भी ज़रूरत हो,
हरेक बाज़ी में अपनी हार हो ऐसा जरुरी तो नहीं.


कोई मुझे न समझे और प्यार करे,
इससे कहीं बेहतर है कि वह मुझे समझे और नफरत करे.


इतनी हिम्मत नहीं कि किसी को हाल-ए-दिल सुना सकें,
बस जिसके लिए उदास है वो महसूस कर ले तो क्या बात है.


शिकायतें वहां होती है जहाँ ऐतबार ना हो,
मेरा तो यकीं तुम हो तो शिकायत कैसी.
                                                             


अपनी हद से न गुजरे कोई इश्क में,
जिसे जो मिलता है नसीब से मिलता है...



अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें हमें,
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए.







No comments:

Post a Comment