आप गैरों की बातें करते हो ,हमने अपनों को आजमाया है ,
लोग काँटों से बचके चलते हैं ,हमने फूलों से जख्म खाया है .
मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहाँ तक है ,
तू सितम कर ले तेरी ताकत जहाँ तक है ,
वफ़ा की उमीद जिन्हें होगी उन्हें होगी ,
हमें तो देखना है की तू ज़ालिम कहाँ तक है
लोग काँटों से बचके चलते हैं ,हमने फूलों से जख्म खाया है .
मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहाँ तक है ,
तू सितम कर ले तेरी ताकत जहाँ तक है ,
वफ़ा की उमीद जिन्हें होगी उन्हें होगी ,
हमें तो देखना है की तू ज़ालिम कहाँ तक है
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