ज़ख्म फूलो के सिल गये होते
रंग से जब रंग मिल गये होते
तुम तो आये नही बहारो मे
वरना कांटे भी खिल गये होते
तुम तो गैरो की बात करती हो
हमने तो अपने ही अज़माये है
तुम कांटो से बच के चलती हो
हमने तो फूलो से ज़ख्म खाये है
रंग से जब रंग मिल गये होते
तुम तो आये नही बहारो मे
वरना कांटे भी खिल गये होते
तुम तो गैरो की बात करती हो
हमने तो अपने ही अज़माये है
तुम कांटो से बच के चलती हो
हमने तो फूलो से ज़ख्म खाये है
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