Tuesday, February 26, 2013

ज़ख्म फूलो के सिल गये होते

ज़ख्म फूलो के सिल गये होते
रंग से जब रंग मिल गये होते
तुम तो आये नही बहारो मे
वरना कांटे भी खिल गये होते
तुम तो गैरो की बात करती हो
हमने तो अपने ही अज़माये है
तुम कांटो से बच के चलती हो
हमने तो फूलो से ज़ख्म खाये है

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