Tuesday, February 26, 2013

शब-ए-गम के अश्क़ो के सिवा तेरे इश्क़ ने मुझे क्या दिया

शब-ए-गम के अश्क़ो के सिवा तेरे इश्क़ ने मुझे क्या दिया
जिस दिल मे तेरी ही चाह थी उसी दिलको तुमने जला दिया
तू जो दिलका चैन-ए-क़रार था तू जो दिललगी का खुमार था
तुझे दिलसे हमने मिटा दिया, तुझसे दिलसे हमने भुला दिया
वो जो साथ मेरे था रात दिन, वो तो सिर्फ तेरा ख्याल था
उसे ज़हन-ओ-दिल से निकाल कर गये माज़ियो मे छीपा दिया
हर उम्मीद वक़्त की गर्द मे यूं दबी के फिर ना उभर सकी
जिसे गर्द-ए-वक़्त ना छू सकी उसे आंसूओ ने मिटा दिया
ना तो दिल को इश्क़ का है जुनून ना नज़र किसी की तलाश मे
तेरी याद दिल से समेट कर मैने अश्क़ अश्क़ बहा दिया

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